Popular Posts

Saturday, September 15, 2012


भारत की जनता और राजनेता :

माननीय... मनमोहन सिंह_ प्रधानमंत्री - विश्व के नामचीन अर्थशास्त्री ; मोंटेक सिंह अहलुवालिया_ उपाध्यक्ष योजना आयोग - प्रसिद्ध अर्थशास्त्री ; डाक्टर डी० सुब्बाराव_ गवर्नर, भारतीय रिजर्व बैंक - जाने माने अर्थ शास्त्र ज्ञाता, प्रथम आई०आइ०टियन बाद में भारतीय प्रशासनिक सेवा में योगदान ( पुर्व आर्थिक सलाहकार, प्रधानमंत्री सचिवालय ) ; माननीय 
पी० चिदम्बरम_ वित्त मंत्री - दिग्गज वित्त मंत्री में शुमार, दक्ष, आर्थिक योजनाओं के कुशल अनुभवी ....???
 भारत के वर्तमान आर्थिक जगत के ये नामचीन पुरोधा, विख्यात आर्थिक विशेषज्ञ जिन्होंने भारत के काया पलट करने का बीड़ा उठाया, 
ना जाने और कितने नाम होंगें इस क्षेत्र के जो देश में हजारों वर्षों की गुलामी के कारण फैली कोढ़ की भांति गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी, दरिद्रता, अशिक्षा और अनेको तरह की फैली आर्थिक विषमतायें तथा अन्य सामाजिक- आर्थिक - राजनैतिक बीमारियों का सफल इलाज कर देने का संवैधानिक शपथ लेकर भारत की राज्य-सत्ता पर काबिज हैं ....... ????? 
पिछले आठ सालों से राज्य-सत्ता पर बैठ केंद्र की सरकार के नेतृत्व कर्ता माननीय प्रधानमंत्रीजी ने निर्विघ्न सत्ता चला लेने के वर्षगाँठ पर प्रत्येक वर्ष सभी सांसदों और इंडिया के अभिजात्य को पांच सितारा रात्रि-भोज देना नहीं भूलते  है ... भले ही भारत की जनता को रोजगार न मिले, रोटी न मिले, पानी न मिले, दवा न मिले, शिक्षा न मिले, स्वास्थ्य-सुविधा न मिले, बिजली न मिले, चूल्हा जलाने तक को इंधन न मिले, लकड़ी-कोयला-गैस न मिले ; भले ही गरीबी रेखा की सूची हर साल बढती जाये, इन्हें कोई दुःख नहीं होता. ये गरीबी दूर करने में लगे हैं, बेरोजगारी दूर करने में लगे है _ चावल रु० २५-१५० किलो का, आटा रु० २०-२५ का, दाल ७०-९० रूपये का, चीनी ५०-७५ रूपये का, कोई भी सब्जियां ले लो हरेक माल रु० ४०-६० का, खाने का तेल रु० १२५-१५० का ; नमक रु० १५-२० का (सभी दाम किलो में), मसाले का दाम तो प्याज की तरह आँख से आंसू गिराता ही है जनता सोने के भाव में जीवन जीने के लिए कुछ खरीद तो लेती ही है_
अब कैसे कोई कह सकता है कि देश में गरीबी भी है इतने खर्च तो गरीबी रेखा से नीचे का आदमी तो कर ही लेता है रु०२३ की मजदूरी तो वह कमा  लेता ही है फिर मनरेगा में सरकार की कृपा जो मिलती है ??_ भाई क्या करे सरकार घाटे में जो चल रही है उस पर से मैडम ने दो साल बाद चुनाव को भी याद रखने का निर्देश भी दे रखा है इसलिए आज से तो डीजल-रसोई गैस का भी दाम बढ़ाना जरूरी हो गया है चुनाव खर्च का जुगाड़ जो करना है पार्टी के लिए.


ऍफ़० सी० आई० के गोदामों में भले ही अनाज सड़ जाये लेकिन सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर भी भूखों- प्यासों को एक भी दाना अनाज का या  एक ग्लास पानी मुफ्त में क्यों दिया जाये. सरकार उदारीकरण के बाद व्यापारी जो हो गयी है_ बिना लाभ के वाणिज्य अधर्म का मार्ग होता है ऐसा शास्त्रों में लिखा है तभी तो सरकार ने धरती (जमीन- खदान, तेल कुआँ ) बेच दी, आकाश (संचार) बेच दी, जल बेच दिया ( पीने का भी) , वायु (हवाई) बेच दिया, वनों को बेचा, पहाडो को बेचा, तेल बेचा - गैस बेचा, दारु बेचा - शराब बेचीं_ क्या क्या नहीं बेचा फिर भी लोग हैं की शाबासी देते नहीं_ तो भई क्या करें अपने लिए भी तो कुछ करना था तो किया भ्रस्टाचार, किया हेराफेरी, घोटाले किया, गबन करी जो कुछ मिला डकार गए_ अब देश बदहाल है तो हुआ करे, कंगाल है तो हुआ करे, अराजक हो रही है तो हुआ करे, अफरातफरी मची है तो मचा करे अपना भी तो देखना है पांच साल बाद न जीत पाए तो कौन पूछेगा भई_ भारत की जनता कब याद रखती है चुनाव के समय जो हम उन्हें याद कर कोई कार्य करें..?????












No comments:

Post a Comment